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अनन्य भक्ति और निष्काम कर्म

निष्काम कर्म मतलब जिसके पीछे कोई भी किसी भी प्रकार की कामना नहीं हेतु नहीं हो और श्री गीता में श्री अर्जुन देव जी को श्रीकृष्ण महाराज जी ने निष्काम कर्म करने के लिए कहा है निष्काम मतलब जिसके पीछे कोई भी किसी भी प्रकार का हेतु नहीं हो, अब महाराज ने कौन से कर्म करने के लिए कहा है.. श्री महाराज ने सबसे पहले आज्ञा की हे की सारे धर्म का त्याग करके सभी चीजों से मन को निकाल कर मेरा ध्यान कर सारे धर्म का त्याग करके मेरा स्मरण कर मेरा चिंतन कर मेरे को भज मेरे को पूज मेरी आज्ञा का पालन कर और किसी भी कोई भी किसी भी प्रकार की कामना न रखकर मेरी अनन्य भक्ती कर मनुष्य की आयुष 100 साल बताई गई है कलयुग में 100 साल में एक भी निष्काम क्रिया अगर घड जाती है तो भगवान उसके बदले में क्या कुछ नहीं देते इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते महाराज ने कौन से कर्म करने के लिए बताया है बोला है वह बता रहा हूं श्री अर्जुन देव जी को ज्ञान कब दिया 900 साल सन्निधान में रहते हुए कभी ज्ञान नहीं सुनाया लेकिन लास्ट में युद्ध भूमि में जब श्री अर्जुन देव जी ने सब कुछ छोड़-छाड़ के भगवान की शरण ग्रहण की तब भगवान ने उनको ज्ञान का निरू...